HINDUSTAN1ST : हरिद्वार घूमने के दौरान इन पांच जगह जरूर खाएं कहां-कहां जा सकते हैं घूमने
राजाजी टाइगर रिजर्व
शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर है राजाजी राष्ट्रीय उद्यान। तकरीबन 820.42 स्वॉअनूठयर किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसे प्रकृति की खूबसूरती के साथ-साथ समृद्घ जैव-विविधता के लिए जानते हैं। स्वतंत्रता सेनानी श्री सी. राजगोपालाचारी के नाम पर इसे वर्ष 1983 में राजाजी नेशनल पार्क का नाम दिया गया, जिसका लोकप्रिय नाम राजाजी है। इसे उत्तर भारत में एशियाई हाथियों की आखिरी पनाहगाह माना जाता है। इसकी चीला व गोहरी रेंज में बाघों का बसेरा है। यहां हिरनों की कई प्रजातियों के साथ ही गुलदार, भालू सहित दूसरे जानवरों और परिंदों की 315 प्रजातियां मौजूद हैं। हर साल 15 नवंबर से 15 जून के बीच रिजर्व के पर्यटक जोन खुले रहते हैं। चीला पर्यटक जोन सबसे पसंदीदा है। यहां 35 किमी. का ट्रैक है। चीला में एलीफेंट सफारी भी है। गर्मी के मौसम में एलिफेंट सफारी यानी हाथी की सवारी को बेस्ट मानते हैं।
झिलमिल कंजर्वेशन रिजर्व
उत्तराखंड में बारहसिंघों (स्वैंप डीयर) का एकमात्र घर है झिलमिल कंजर्वेशन रिजर्व। हरिद्वार वन प्रभाग के चिडिय़ापुर क्षेत्र में गंगा नदी के बायें तट पर 3783.5 हेक्टेयर में फैला है यह रिजर्व। यहां बारहसिंघों के साथ ही हिरनों के झुंड को कुलाचें भरते देखना अपने आप में आनंददायक है। इसी तरह, भीमगोड़ा बैराज पर बर्ड वाचिंग के लिए भी अच्छी-खासी भीड़ होती है।
मंदिरों की नगरी
कदम-कदम पर मंदिरों की नगरी हरिद्वार के नारायणशिला मंदिर को पितरों के मोक्ष को होने वाली पूजा का सर्वाधिक मान्य मंदिर माना जाता है। इस मंदिर में ‘तथागत’ यानी भगवान बुद्ध के आने के प्रमाण भी मिलते हैं। पुरातत्वविद् और अंग्रेजी शासनकाल में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिघंम की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर में भगवान बुद्ध की एक छोटी सी प्रतिमा थी, जिसमें उन्हें अपने शिष्यों संग दिखाया गया था। श्रवणनाथ मंदिर में भी एक वृक्ष के नीचे समाधिस्थल पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिलने के प्रमाण मिलते हैं। इसी तरह, चंडी देवी मन्दिर है। यह गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर नील पर्वत पर स्थित है। मंदिर चंडीघाट से 3 किमी. की दूरी पर है। यहां रोपवे से भी पहुंचा जा सकता है। मनसा देवी मंदिर, माया देवी मंदिर भी काफी मशहूर हैं।
भारत माता मंदिर
भारत माता मंदिर ‘मदर इंडिया’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। 180 फीट ऊंचे इस मंदिर में आठ मंजिलें हैं और प्रत्येक की अपनी विशेषता है। यह विभिन्न देवी-देवताओं एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित है। मंदिर में पहली मंजिल में भारत माता की प्रतिमा है। आठवीं मंजिल से हिमालय, हरिद्वार एवं सप्त सरोवर के सुंदर दृश्यों को देखा जा सकता है। इस मंदिर का निर्माण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने कराया और 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था।
खानपान में दिखता है शहर का मिजाज
भारतीय संस्कृति के अनुरूप शहर का मिजाज है और यह यहां के खानपान में भी नजर आता है। शहर कोतवाली के पास है करीब सौ साल पुरानी जीवन छोले वाले की दुकान। यहां हर दिन की शुरुआत कन्याओं को नि:शुल्क भोजन कराकर की जाती है। यहां आज भी सौ साल से अधिक पुरानी दुकानें हैं जहां का अपना स्वाद है। हरिद्वार में मोहन जी पूरे वालों की हरकी पैड़ी पर करीब 130 वर्ष पुरानी दुकान हैं। यहां आने वाले यात्री मोहन जी पूरी वाले के यहां पूरी-छोले-आलू की सब्जी सहित हलवे का भी जायका लेते हैं। चौक बाजार ज्वालापुर में सुरेजे की मूंग की दाल (मुरादाबादी) इस कदर फेमस हुई कि लोगों इसका नाम ‘सुरजे की दाल’ ही रख दिया। सूरजालाल ने इसकी शुरुआत 50 साल पहले की थी। यह दाल खाने को लोग समय लेकर उनके पास पहुंचते हैं। यहां बंगाली जायका भी कम नहीं है। बंगाली मार्केट, भोला गिरी रोड बंगाली व्यंजनों के स्वाद की खान है। यहां आकर कोलकाता की किसी गली में होने का अहसास होता है। इन होटलों में वेटर भी बंगाली ही होते हैं। यहीं ‘दादा बोधिर'(भइया-भाभी) का होटल है, जो अपने अनूठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
‘कांजी बड़ा’ के हैं दीवाने
हरिद्वार आने पर कांजी बड़ा नहीं खाया तो लगता है कुछ छूट गया है। इसके लिए मोती बाजार की चाट वाली गली मशहूर है। इसी गली में है ‘जैन चाट भंडार’। 1951 में स्थापित इस दुकान को वर्तमान में नीरज जैन संभाल रहे हैं। उनके अनुसार, प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद, गायक किशोर कुमार, अनूप जलोटा, अभिनेत्री कुमकुम और प्रसिद्ध सेफ संजीव कपूर भी कांजी बड़ा का स्वाद ले चुके हैं।
कैसे करें हरिद्वार की सैर?
मानसून के समय में यहां हल्की बारिश होती है। मानसून की अवधि जून से सितंबर है। नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून स्थितत जॉली ग्रांट है। रेलमार्ग से यह मुंबई, दिल्ली, आगरा, हावरा, वाराणसी, इलाहाबाद, उज्जैन, अमृतसर आदि शहरों से जुड़ा है। हरिद्वार देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से वायु, रेल और सडक़ मार्ग से सीधा जुड़ा है।