PUNJAB1ST : पंजाब में क्या फिर अकाली दल-BJP का गठबंधन होगा?, यह सवाल फिर से राज्य की सियासत में तेजी से उठ रहा है। इसकी वजह जालंधर लोकसभा उपचुनाव में दोनों पार्टियों की हार है। अकाली दल ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। BJP अकेले मैदान में थी। दोनों दलों की वोटें दूसरे नंबर पर आई कांग्रेस से ज्यादा रही। वहीं सीट जीतने वाली AAP से कुछ हजार ही कम थी। सीट पर हार-जीत स्पष्ट न भी हो तो गठबंधन की तरफ से यहां मुकाबला कड़ा होता। अकाली दल ने किसान आंदोलन के वक्त भाजपा से गठबंधन तोड़ा था। केंद्र में अकाली कोटे से मंत्री हरसिमरत बादल ने इस्तीफा दे दिया था।
क्या गठबंधन टूटने का असर हुआ
यह एक फैक्टर है। 21 साल 2 पार्टियों ने गठबंधन में काम किया। 3 सरकारें इकट्ठी बनाई। बहुत सारे विधानसभा सीटें हैं, जहां एक-दूसरे पर निर्भरता हो चुकी थी। जालंधर की बात करें तो 3 सीटों BJP कमांड करती थी। वहां हमारे संगठन पर इफेक्ट हुआ। वहां गठबंधन का दूसरा सहयोगी रहा तो वर्कर कमजोर होता है।
गठबंधन होता तो क्या फायदा होता
अगर आप आज भी दोनों के वोट का टोटल कर लो तो अकाली दल और भाजपा जीत की तरफ होती। जिस स्थिति में इलेक्शन लड़ा, 10 दिन पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के निधन से कैंपेन नहीं हो पाई।
क्या आने वाले समय में गठबंधन संभव है
देखो, यह एक पंजाब का बड़ा नेचुरल गठबंधन था। सामाजिक रिश्ते के तौर पर पंजाब के लिए ये गठजोड़ सांझा संदेश देता था। गठबंधन के कई फायदे और कई नुकसान भी होते हैं।
चुनाव में अकाली दल और BJP को कितनी-कितनी वोटें मिली
अकाली दल-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. सुखविंदर सुक्खी को 1 लाख 58 हजार 445 यानी 17.85% वोट मिले। सुक्खी तीसरे नंबर पर रहे। चौथे नंबर पर रहे भाजपा के इंदर इकबाल सिंह अटवाल को 1 लाख 34 हजार 800 यानी 15.19% वोट मिले।
क्या अकाली दल और भाजपा उम्मीदवार के कुल वोट जीतने वाले से ज्यादा
जालंधर लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार सुशील रिंकू 58 हजार 691 वोटों से जीते। उन्हें कुल 3 लाख 02 हजार 097 वोट मिले। अगर अकाली दल और भाजपा के वोट जोड़े जाएं तो यह 2 लाख 93 हजार 151 हैं। फिर भी वह AAP के रिंकू से 8 हजार 946 वोट कम रहते। हालांकि दूसरे नंबर पर 2 लाख 43 हजार 450 वोट पाने वाली कांग्रेस की कर्मजीत कौर चौधरी से गठबंधन 49 हजार 701 वोटों से आगे रहता। यही बात गठबंधन के दोबारा होने की तरफ इशारा करती है। गठबंधन का जीतने वाले उम्मीदवार से अंतर बहुत कम है और दूसरे नंबर वाले से काफी ज्यादा, ऐसे में गठबंधन मुकाबले में जरूर रहता।
अकाली दल में पहले भी उठ चुकी आवाजें
अकाली दल की तरफ से भाजपा से गठबंधन को लेकर पहले भी आवाजें उठती रहीं हैं। पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के निधन के वक्त भी विरसा सिंह वल्टोहा और प्रेम सिंह चंदूमाजरा जैसे नेताओं ने इशारों में इसकी पैरवी की थी।
भाजपा हाईकमान के अकाली दल से अच्छे संबंध
पंजाब के भाजपा नेता भले ही गठबंधन के खिलाफ हों लेकिन हाईकमान का अकाली दल के प्रति नरम रूख है। यही वजह है कि पूर्व CM बादल के निधन पर पहले पीएम नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ अंतिम दर्शन करने आए। अंतिम संस्कार के दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गांव बादल पहुंचे। अंतिम अरदास के दिन गृह मंत्री अमित शाह आए। ऐसे में गठबंधन को लेकर गुंजाइश को हर बार बरकरार माना जाता है(सूत्र इंटरनेट)